मंजिलें भी उसकी थी, रास्ता भी उसका था |
एक मैं अकेला था, काफिला भी उसका था |
साथ साथ चलने की सोच भी उसकी थी, फिर रास्ता बदलने का फैसला भी उसका था |
आज क्यों अकेला हूँ, दिल सवाल करता है |
लोग तो उसके थे, क्या खुदा भी उसका था…..!
– अग्यात
November 28, 2007 by Gaurav Sangtani
मंजिलें भी उसकी थी, रास्ता भी उसका था |
एक मैं अकेला था, काफिला भी उसका था |
साथ साथ चलने की सोच भी उसकी थी, फिर रास्ता बदलने का फैसला भी उसका था |
आज क्यों अकेला हूँ, दिल सवाल करता है |
लोग तो उसके थे, क्या खुदा भी उसका था…..!
– अग्यात
bahut khoob abhi kuchh din pahle kesi ne msg kiya tha in ash aro.n ko. kafi pasand aya
आज क्यों अकेला हूँ, दिल सवाल करता है |
लोग तो उसके थे, क्या खुदा भी उसका था…..!
बहुत अच्छा है मालिक. कुछ सोच रहा हूँ. फिर मिलते हैं……
Really gr8…………………………